आरक्षण

 संविधान  का वो अंश जिसे एक जमाने पहले सामाजिक जड़ी - बूटी के तौर पर लिया जाता था और आज जिसका उपयोग अंको की मुफ्तखोरी के लिए किया जाता है। आरक्षण जिसे संविधान में समाज को न्यायसम्य बनाने हेतु एक अपरिहार्य कानून के तौर पर कल्पित किया गया था और जिसकी क्रियान्वयन की सीमा सिर्फ दस वर्षों तक रखा गया था लेकिन ।कुटिल राजनेताओं ने तो इस आरक्षण का उपभोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने लिए के लिए कर लिया । फिर शुरू होता है मंडल कमंडल का खेल और इससे पनपे जातिगत राजनीति करने वाले पिछड़ों के कुछ मसीहा! पिछड़ों के ये मसीहा समजवादी होकर भी करोड़ों की संपत्ति रखते है!

आरक्षण विषय का पुनः चर्चा करने से सभी कतराते है , ना जाने उन्हें शायद उन्हें अपने  पद की चिंता हो?  क्या आपको नहीं लगता आरक्षण विषय पर पुनः चर्चा हो? आरक्षण की राजनीति में एक नया अध्याय EWS  आरक्षण के बाद जोड़ा गया । ये आरक्षण आरक्षण पर सवाल उठाने वाले उस ख़ास तबके के लोगों के लिए एक विराम चिह्न बन जाता है। विराम चिह्न लगाने की जिम्मेवारी न्यायपालिका की है लेकिन हैरानी की बात ये है कि न्यायपालिका में ये आरक्षण का भोग नहीं चलता। फिर आरक्षण पर न्यायपालिका चर्चा ही क्यों करे ,क्यूंकि उनकी पुस्तें तो आरक्षण के इस जाल से बाहर है। ये सवाल हर उस युवा को विचलित करता होगा आखिर मेडिकल इंजीनियरिंग में अगर आरक्षण का भोग प्रचलित है तो फिर समाज में न्याय करने वाले उस न्यायपालिका में क्यों नहीं? वक़्त बदलेगा तब, जब न्यायपालिका और विधायिका की पुस्ते सरकारी नौकरी की तलाश में होंगे। संविधान के आरक्षण वाले अनुच्छेदों में संशोधन की सख्त जरूरत है ताकि आरक्षण नाम का ये भोग वापस से औषध बन जाए और हर उस जरूरतमंद तक पहुंचे जो असल में इसके हकदार है।

कुछ तथ्य जो हमारे सविधान के आरक्षण वाले अध्याय पर पुनः चर्चा करने पर बिबश करता है:-

१.वर्तमान में प्रचलित आरक्षण में अगर आप एक आईएएस ऑफिसर है तब भी आपको संविधान आरक्षण देगा क्यूंकि आप तो छोटे जात के हो .. आपका अहोदा को नजरंदाज कर दिया जाएगा बस आप किस कूल में जन्मे में बस वही देखा जयेगा!

२. अगर आप OBC से हो और आपका सालाना वेतन क्रीमी लेयर से आधिक है तब भी आप ओबीसी आरक्षण का फायदा के सकते ह क्यूंकि ओबीसी आरक्षण आपके पितश्री के सालाना वेतन को ध्यान में रखते हुए दिया जाता है!

३. आप अगर बड़े  कारोबारी है फिर भी आपके संतान कल्याण विभाग से सालाना अपना कल्याण करा सकते है क्यूंकि आप छोटे जात के है और आपका सालाना वेतन आश्चार्जनक ढंग से ९० हजार से कम हो जाता है!

४. अगर आपको एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में एक बार आरक्षण मिल जाता तब भी पीजी प्रवेश परीक्षा में आपको आरक्षण का दोबारा लाभ दिया जाएगा क्यूंकि एमबीबीएस करने के बाद भी संवैधानिक तौर पर पिछड़े हुए कहलाएंगे!

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