संदेश

Biased media:A real threat to Democracy

  D emocracy is most popular form of government which is most ethical and scientific also. If we discuss about indian democracy media is known as fourt pillar. Means if this pillar is harmed then entire building of indian democracy will be affected. Biasing is the way by which fourth pillar  is harmed and so the democracy is. Media can play the role of both fire and foe. It depends upon how   media mediate its informations. A proactive media makes the elected representatives and even dictators  accountable to public. I fear more those three newspaper agencies which are against me than three million people who are against me.                                   -Adolf Hitler Responsibility of a media house is to provide informations,facts,data etc it doesn't have any right to make viewer's perspective of thinking on different agenda of government but at present media houses are focussing more on view making informations rather than on factual informations.As for example if any new

गोपालगंज से दिल्ली तक

लालू यादव,गोपालगंज की धूसर मिट्टी से सत्ता के गलियारों पर राज करने वाला इकलौता नाम जो सजायफ्ता होने के वावजूद भी बिहार की राजनीति में आज भी केंद्र बिंदु बना हुआ है। लालू लाल था , गरीबों का पोस्टर बॉय , पिछड़ों का मसीहा  वाकई में लालू कमाल था! बिहार के सड़कों को हेमामालिनी के गालों के समान सपाट बनाने की बात हो या फिर चुनावी रैली के दौरान हेलीकॉप्टर उतार कर चरवाहों को हवाई यात्रा करा राजनीति की एक नई बिधा की रचना करने की बात हो  ,लालू  बाकियों से अलग था। नब्बे की दशक में बिहार पर राज करने वाले लालू यादव को  कोई कैसे भूल सकता है लालू के इन कारस्तानियां को? लेकिन दोष सिर्फ किसी खास जाति विशेष का नहीं है दोष का हकदार खुद को ओछी जाति के कहने वाले लोग भी है , जिन्होंने नीचे जात वालो को इतना दबाया की वो क्रांति का सूत्रपात हुआ। और उसी क्रांति के जनक है तथाकथित चारा घोटाला के आरोपी सजाफ्ता लालू यादव। लालू के नाम की चमक को समय की धूल कतई धूमिल नहीं कर सकती , शायद यही वजह है कि आज सत्ता से एक दशक दूर रहने बाद भी लालू ज़िंदा है। राजनीति के पक्के खिलाड़ी लालू जात पात के मैचों में शतक लगाने वाले लाल

आरक्षण

 संविधान  का वो अंश जिसे एक जमाने पहले सामाजिक जड़ी - बूटी के तौर पर लिया जाता था और आज जिसका उपयोग अंको की मुफ्तखोरी के लिए किया जाता है। आरक्षण जिसे संविधान में समाज को न्यायसम्य बनाने हेतु एक अपरिहार्य कानून के तौर पर कल्पित किया गया था और जिसकी क्रियान्वयन की सीमा सिर्फ दस वर्षों तक रखा गया था लेकिन ।कुटिल राजनेताओं ने तो इस आरक्षण का उपभोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने लिए के लिए कर लिया । फिर शुरू होता है मंडल कमंडल का खेल और इससे पनपे जातिगत राजनीति करने वाले पिछड़ों के कुछ मसीहा! पिछड़ों के ये मसीहा समजवादी होकर भी करोड़ों की संपत्ति रखते है! आरक्षण विषय का पुनः चर्चा करने से सभी कतराते है , ना जाने उन्हें शायद उन्हें अपने  पद की चिंता हो?  क्या आपको नहीं लगता आरक्षण विषय पर पुनः चर्चा हो? आरक्षण की राजनीति में एक नया अध्याय EWS  आरक्षण के बाद जोड़ा गया । ये आरक्षण आरक्षण पर सवाल उठाने वाले उस ख़ास तबके के लोगों के लिए एक विराम चिह्न बन जाता है। विराम चिह्न लगाने की जिम्मेवारी न्यायपालिका की है लेकिन हैरानी की बात ये है कि न्यायपालिका में ये आरक्षण का भोग नहीं चलता। फिर आरक्षण पर

रेलवे से चारा तक

  L alu yadav,a story  of poor 'gwala' from Gopalganj to Railway Minister quarter then to RIMS Hospital as a convicted politician for so called Fodder Scam. Once Lalu was in pivotal role in central Govt. Also but even after convicted in so called fodder scam he is in centre of bihar politics. Debaters can't discuss entire Legislative Election without taking his name ,yes that is 'our' Lalu Yadav .King of Bihar politics from last three decades. Here 'our' is for those poor reserved category people once they were not allowed to sit in same level of upper caste people. Lalu was created by by backwards but those upper caste people played a role of catalyst. His funny speeches are still trending in youtube .   Growing up, all that I had heard from the mainstream English media and through hearsay was how Lalu Yadav, the former chief minister of Bihar was corrupt and that lawlessness was rampant when he was in charge of the state, directly or indirectly, from 1990-